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पद शैली

पद शैली हिन्दी काव्य की एक शैली है - जैसे सूरदास या मीरा के पद। ये पद गाये जाते हैं, परन्तु ये राग प्रधान नहीं होते। ये संगीत प्रधान न होकर भावाभिव्यक्ति प्रधान होते हैं। टेक इसका विशेष अंग है, जिसमें सम्पूर्ण पद का भाव केन्द्रित होता है।

उदाहरण के लिए यहां प्रस्तुत है सूरदास का एक पद।

मेरो मन अनत कहां सुख पावै।
जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै॥
कमलनैन कौ छांड़ि महातम और देव को ध्यावै।
परमगंग कों छांड़ि पियासो दुर्मति कूप खनावै॥
जिन मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ, क्यों करील-फल खावै।
सूरदास, प्रभु कामधेनु तजि छेरी कौन दुहावै॥

Page last modified on Saturday June 14, 2025 15:29:39 GMT-0000