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अधिक अलंकार

साहित्य में अधिक अलंकार वह अलंकार है जिसमें आधार या आधेय छोटा होता है परन्तु उन्हें एक दूसरे के अपेक्षाकृत बड़ा बनाकर प्रस्तुत किया जाता है।

अनेक विद्वान इस अलंकार का स्वतंत्र अस्तित्व मानते हैं परन्तु दण्डी ने अपने काव्यादर्श में इसे अतिशयोक्ति अलंकार के अन्दर ही माना है।


Page last modified on Friday November 22, 2013 12:35:38 GMT-0000